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कविता

जिन्होंने

प्रांजल धर


जिन्होंने मेरे जीवन को
एक बेबस वेश्या का
संवेदनहीन उत्तेजनहीन
कटिप्रदेश बना दिया उन्हें,
उन्हें और ताकत देना
जिन्होंने
खिलते हर फूल को
खिलने से पहले ही रौंद दिया
उन्हें और शक्ति देना
ताकि वे अतिरेक से रिक्त
हो जाएँ शीघ्र
और आगे बढ़कर तब शायद
बेहतर सोच सकें,
जान सकें कि
शब्द केवल शब्द नहीं
अश्रु केवल अश्रु नहीं
उनके पीछे विशाल पीड़ा का
एक पूरा महाभारत खड़ा है,
बहुत बड़ी
एक अधूरी कहानी खड़ी है।
 

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हिंदी समय में प्रांजल धर की रचनाएँ